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हर काम मजे व दिल से करता हूं: आमिर खान

''दंगल' फिल्म के लिए मुझे 25 से 30 किलो वजन बढ़ाना पड़ा। इस फिल्म में मेरा किरदार 25 से 30 वर्ष, फिर 40 से 45 और 55 से 60 वर्ष की उम्र का है, इसलिए फिल्म की शुरुआत में ही मैंने तेजी से अपना वजन बढ़ाया। फिल्म बनने के बाद

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2015 06:35 AM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2015 07:05 AM (IST)

लुधियाना, जागरण संवाददाता। ''दंगल' फिल्म के लिए मुझे 25 से 30 किलो वजन बढ़ाना पड़ा। इस फिल्म में मेरा किरदार 25 से 30 वर्ष, फिर 40 से 45 और 55 से 60 वर्ष की उम्र का है, इसलिए फिल्म की शुरुआत में ही मैंने तेजी से अपना वजन बढ़ाया। फिल्म बनने के बाद वजन कम करने में मुझे पांच और महीने लगेंगे।'' यह बात बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने सोमवार को होटल रेडिसन ब्लू में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।

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आमिर ने बताया कि 'दंगल' हरियाणा के पहलवान महावीर फोगट व उनकी दो बेटियों गीता-बबीता की कहानी पर आधारित है। 10 साल पहले अपनी फिल्म 'रंग दे बसंती' के लिए भी वह पंजाब आए थे, तब उन्हें यहां बहुत ही अच्छा अनुभव हुआ। यहां के लोग बहुत सहयोगी तथा बड़े दिल वाले हैं। मैं जब भी पंजाब आया हूं, पंजाबियों से बहुत मोहब्बत मिली है। पंजाबी दिल के नरम, भावुक व प्यार देने वाले होते हैं।

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आमिर ने आगे कहा कि वह अपनी फिल्म के लिए हमेशा सुलझे डायरेक्टर का चयन करते हैं। उसके लिए डायरेक्टर की कहानी कमाल की होनी जरूरी है। 'दंगल' की कहानी भी बहुत कमाल की है, जिसे पढ़कर कभी खूब हंसता हूं और कभी बहुत रोता हूं। आमिर ने कहा कि मेरी सफलता का मूलमंत्र है जो काम करता हूं पूरे दिल से और मजे से करता हूं। मस्ती से उस काम में मग्न होकर करने का मजा ही कुछ और होता है। 'दंगल' में पहलवानी यानी कुश्ती को प्रोत्साहन दिया गया है, क्योंकि इसकी खासियत है कि उसमें किसी को चोट नहीं लगती। पहलवानों के लिए एक सोच बनी है कि वे हïट्टे-कïट्टे तो होते हैं, मगर दिमाग के मोटे होते हैं, जबकि ऐसा हर्गिज नहीं है। पहलवान का दिमाग बहुत तेज होता है और वे बहुत फुर्तीले होते हैं।

आमिर ने बताया कि फिल्म करने के बाद उसके किरदार से बाहर निकलने में उन्हें दो-तीन महीने लग जाते हैं। 'पीके' फिल्म पर कहा कि हर इंसान में कमजोरियां व ताकत होती है। भगवान के अलावा कोई संपूर्ण नहीं है। 'दंगल' रिलीज होने के बाद युवाओं का कुश्ती के प्रति रुझान बढ़ेगा। फिल्म देखने के बाद मां-बाप अपनी बेटियों को भी पहलवानी सीखने के लिए प्रेरित करेंगे। लड़कियां भी कुश्ती चैंपियनशिप में भाग लेंगी।

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